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Bihar Desi Gaupalan Protsahan Yojana | बिहार देशी गौपालन प्रोत्साहन योजना: गाय पालन पर सब्सिडी और लाभ उठाएं!

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Bihar Desi Gaupalan Protsahan Yojana: बिहार देशी गौपालन प्रोत्साहन योजना की पूरी जानकारी पाएं। पात्रता, आवेदन प्रक्रिया और लाभ के लिए अभी पढ़ें।

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने “बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना” शुरू की है। यह योजना देसी गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में इस योजना को मंजूरी मिली है। यह योजना वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए है।

इस योजना के तहत, बिहार सरकार देसी गाय पालन करने वाले पशुपालकों को 75 फीसदी तक सब्सिडी देगी।

Bihar Desi Gaupalan Protsahan Yojana का परिचय एवं महत्व

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना राज्य सरकार ने शुरू की है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में देसी गौवंशों को बढ़ावा देना है। यह योजना रोजगार, देसी गौवंशों की संख्या बढ़ाने और पशुधन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है।

योजना का उद्देश्य

इस योजना के उद्देश्यों में शामिल हैं:

  • देशी गोवंश नस्लों को प्रोत्साहित करना
  • पारंपरिक गोपालन में दुग्ध उत्पादन वृद्धि करना
  • गोपालन से रोजगार के अवसर बढ़ाना
  • गोशाला और गोपालन इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता

योजना की मुख्य विशेषताएं

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना की विशेषताएं हैं:

  1. देसी गौवंश खरीद पर 30,000 रुपये तक सब्सिडी
  2. उच्च उत्पादकता वाली देशी गायों के लिए 25% सब्सिडी
  3. गोशाला निर्माण पर 10 लाख रुपये तक सब्सिडी
  4. पिछड़े वर्गों के लिए 75% सब्सिडी

लाभार्थियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

इस योजना के लाभार्थी बिहार के बेरोजगार नागरिक हैं। वे 2 से 4 देसी गायों की डेयरी इकाई लगाना चाहते हैं। उन्हें ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड करना होगा। आवेदन की समय सीमा 01 अगस्त 2023 से 01 सितंबर 2023 तक है।

योजना के लिए पात्रता मानदंड

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना में शामिल होने के लिए कुछ नियम हैं। सबसे पहले, आपको बिहार में रहना चाहिए। इसके बाद, आपकी उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों के किसान, बेरोजगार युवा और महिलाएं इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इस योजना के लिए, आवेदन योग्यता, लाभार्थी चयन और ग्रामीण पशुपालक के लिए कुछ नियम हैं। आपको आधार कार्ड, भूमि रसीद, बैंक पासबुक और प्रोजेक्ट लागत विवरण देना होगा।

श्रेणीसब्सिडी
सामान्य वर्ग50%
अनुसूचित जाति/जनजाति75%

ये योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए है। इसमें बिहार के लोगों को वित्तीय मदद मिलती है।

“योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में उच्च गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन बढ़ाना और कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देना है।”

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना

बिहार सरकार ने देसी गोपालन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, किसानों और पशुपालकों को देसी गायों के खरीद, चारा और टीकाकरण पर मदद मिलेगी।

इस योजना का उद्देश्य देसी गायों की संख्या बढ़ाना है। यह दूध उत्पादन में वृद्धि और किसानों की आय में सुधार करने के लिए है।

योजना के प्रमुख घटक

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना के मुख्य बिंदु हैं:

  • देसी गाय खरीद पर सब्सिडी: सामान्य वर्ग के लोगों को 2 से 4 देसी गाय खरीदने पर 50% सब्सिडी मिलेगी। अन्य वर्गों के लोगों को 75% सब्सिडी मिलेगी।
  • पशु आहार सहायता: योजना के तहत, पशुओं के लिए चारा और खाद्य सामग्री पर भी सब्सिडी दी जाएगी।
  • नि:शुल्क टीकाकरण और पशु चिकित्सा सुविधाएं: देसी गायों के स्वास्थ्य के लिए नि:शुल्क टीकाकरण और चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी।

सरकारी सहायता का प्रावधान

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना के तहत, सरकार निम्नलिखित सहायता प्रदान करेगी:

वर्गसब्सिडी प्रतिशत
सामान्य वर्ग50%
अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग75%

इस योजना से देसी गायों की संख्या बढ़ाई जाएगी। यह किसानों की आय में भी वृद्धि करेगी।

अनुदान राशि का विवरण

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना के तहत, लाभार्थियों को 10 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी। इससे उन्हें योजना का सीधा लाभ मिलेगा।

योजना के मानदंड भी तय किए गए हैं। सामान्य वर्ग के लिए 50% और SC/ST/OBC वर्ग के लिए 75% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इससे कमजोर वर्ग के लोगों को अधिक लाभ मिलेगा।

देसी गोपालन योजना के तहत, लाभार्थियों को गाय खरीदने पर सब्सिडी मिलेगी। SC/ST/OBC वर्ग के लिए 1,21,000 से 1,81,500 रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। अन्य वर्गों के लिए यह 50% होगी।

15-20 गाय खरीदने पर, सभी वर्गों के लिए 8,08,000 से 10,68,000 रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी।

लाभार्थियों को अपने बैंक खाते को आधार कार्ड से लिंक करना होगा। इससे सब्सिडी राशि सीधे उनके खाते में आ जाएगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और तुरंत राहत मिलेगी।

आवेदन प्रक्रिया एवं दस्तावेज

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना के लिए, आपको कुछ दस्तावेजों की सूची और ऑनलाइन आवेदन के चरणों का पालन करना होगा।

आवश्यक दस्तावेजों की सूची

  • आधार कार्ड
  • जमीन के कागज
  • फोन नंबर
  • बैंक खाता विवरण

ऑनलाइन आवेदन के चरण

  1. आधिकारिक वेबसाइट https://dairy.bihar.gov.in/ पर जाएं।
  2. ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।

इस प्रक्रिया से आप योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने से प्रक्रिया तेज और आसान हो जाती है।

“बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया काफी सुगम है। आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करके एक ही क्लिक में आवेदन दर्ज किया जा सकता है।”

योजना की महत्वपूर्ण तिथियां

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना की घोषणा एक बड़ा कदम है। यह किसानों और पशुपालकों को सरकार का समर्थन देने के लिए है। इस योजना के लिए, आवेदन के लिए कुछ तिथियां महत्वपूर्ण हैं।

योजना की घोषणा 8 अप्रैल 2024 को हुई थी। आवेदन शुरू होने की तिथि 15 अगस्त 2024 है। आवेदन की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2024 है।

किसान और पशुपालकों को अपना आवेदन ऑनलाइन करना होगा। सरकार ने प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का फैसला किया है। इससे आवेदन करना आसान होगा।

योजना की घोषणा और आवेदन की तिथियों को जानने से लाभ होगा। समय पर आवेदन करने से सरकारी सहायता मिलेगी।

“योजना की घोषणा, आवेदन प्रारंभ होने और आवेदन की अंतिम तिथि को ध्यान में रखकर किसान और पशुपालक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।”

विभिन्न श्रेणियों के लिए सब्सिडी

बिहार सरकार ने ‘बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना’ शुरू की है। इसमें किसानों और पशुपालकों को विभिन्न श्रेणियों के लिए सब्सिडी दी जाती है।

सामान्य वर्ग के लोगों को 40% सब्सिडी मिलती है। वहीं, अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को 75% सब्सिडी मिलती है।

सामान्य वर्ग के लिए सब्सिडी

योजना के तहत, सामान्य वर्ग के लोग 2 से 4 देसी गाय खरीद सकते हैं। उन्हें 50% सब्सिडी मिलती है।

इस श्रेणी के लिए सब्सिडी की सीमा अधिकतम 5 लाख रुपए है।

अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए सब्सिडी

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों को 75% तक सब्सिडी मिलती है।

उनके लिए सब्सिडी की सीमा अधिकतम 10 लाख रुपए है।

गाय की नस्लें और चयन

बिहार में देसी गाय प्रोत्साहन योजना में तीन नस्लें शामिल हैं: साहीवाल, थारपारकर और गिर। इन्हें उनकी दूध की मात्रा और स्थानीय जलवायु के अनुसार चुना गया है।

  • साहीवाल: बिहार में साहीवाल देसी गाय नस्ल बहुत प्रसिद्ध है। ये गायें 350-450 किलोग्राम वजन की होती हैं। वे प्रतिदिन 8-10 लीटर दूध देती हैं।
  • थारपारकर: थारपारकर नस्ल भी बिहार में प्रमुख है। ये गायें साहीवाल के समान आकार और वजन की होती हैं। वे प्रतिदिन 7-9 लीटर दूध देती हैं।
  • गिर: गिर गाय भी एक महत्वपूर्ण नस्ल है। ये गायें 350-450 किलोग्राम वजन की होती हैं। वे प्रतिदिन 8-10 लीटर दूध देती हैं।

इन गायों का चयन उनकी उत्पादकता और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूलन के कारण किया गया है। बिहार में देसी गायों के संरक्षण में मदद मिलेगी।

देसी गाय नस्लदुग्ध उत्पादन (लीटर/प्रतिदिन)गाय का वजन (किलोग्राम)
साहीवाल8-10350-450
थारपारकर7-9350-450
गिर8-10350-450

डेयरी इकाई स्थापना के दिशा-निर्देश

डेयरी फार्म स्थापना एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें पशु आवास, चारा प्रबंधन, दुग्ध संग्रहण और प्रसंस्करण शामिल हैं। ये सभी घटकों का ध्यान रखना जरूरी है।

पशु आवास में स्वच्छ और स्वस्थ्य पर्यावरण बनाना चाहिए। इसमें पर्याप्त जगह, वातानुकूलन, रोशनी और सुरक्षा के उपाय होने चाहिए। स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

चारा प्रबंधन में मात्रा, गुणवत्ता और संतुलित आहार का ध्यान रखना चाहिए। दूध संग्रह और प्रसंस्करण प्रक्रियाएं भी महत्वपूर्ण हैं।

डेयरी उद्यमियों को स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का पालन करना चाहिए। यह दूध की सुरक्षा और पौष्टिकता सुनिश्चित करता है। अपने डेयरी उद्यम को सफल बनाने के लिए, कुशल प्रबंधन और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।

“डेयरी इकाई स्थापना में दीर्घकालिक सफलता के लिए स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।”

बैंक ऋण एवं वित्तीय सहायता

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना के तहत, लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड और सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण दिया जाएगा। यह योजना किसानों और पशुपालकों को वित्तीय सहायता देने के लिए है। इससे वे देसी गायों का पालन-पोषण कर सकेंगे।

इस योजना के तहत, लाभार्थियों को बैंकों से समेकित ऋण मिलेगा। इसमें सरकार की तरफ से 50% सब्सिडी दी जाएगी। इससे किसानों को ऋण आसानी से मिलेगा। वे देसी गायों का पालन कर सकेंगे।

गायों की संख्याकुल लागतबैंक ऋण (40%)सरकारी सब्सिडी (50%)किसान का योगदान (10%)
22,42,000 रुपये96,800 रुपये1,21,000 रुपये24,200 रुपये
45,20,000 रुपये2,08,000 रुपये2,60,000 रुपये52,000 रुपये
1520,20,000 रुपये10,10,000 रुपये8,08,000 रुपये2,02,000 रुपये
2026,70,000 रुपये13,35,000 रुपये10,68,000 रुपये2,67,000 रुपये

इस योजना के तहत, किसान क्रेडिट कार्ड और सहकारी बैंक ऋण के माध्यम से लाभार्थियों को आसान किस्तों पर वित्तीय सहायता मिलेगी।

योजना के लाभ और प्रभाव

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को बहुत फायदा पहुंचाती है। यह योजना दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, ग्रामीण आय बढ़ाने और रोजगार पैदा करने का काम करती है।

आर्थिक लाभ

इस योजना के तहत, किसानों को देसी गाय खरीदने पर सरकारी सब्सिडी मिलती है। यह उनकी आय बढ़ाता है। देसी नस्लों का संरक्षण भी होता है और दुग्ध उत्पादन बढ़ता है।

किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। वे अपनी आय के स्रोतों को विविध बना सकते हैं।

सामाजिक प्रभाव

इस योजना का सामाजिक प्रभाव भी बहुत महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं। इससे बेरोजगारी कम होती है और ग्रामीण समुदायों का जीवन स्तर सुधरता है।

देसी नस्लों का संरक्षण होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण स्तर में सुधार आता है।

लाभप्रभाव
किसानों की आय में वृद्धिग्रामीण रोजगार के अवसर
दुग्ध उत्पादन बढ़ोतरीदेसी नस्लों का संरक्षण
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधारग्रामीण क्षेत्रों में पोषण स्तर में सुधार

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना किसानों और ग्रामीण लोगों को कई लाभ देती है। यह योजना ग्रामीण आय बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है।

मॉनिटरिंग और निरीक्षण प्रक्रिया

बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना को सफल बनाने के लिए, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग नियमित निरीक्षण करेगा। लाभार्थियों को समय-समय पर अपनी प्रगति रिपोर्ट देनी होगी। इससे योजना की गुणवत्ता और पशु स्वास्थ्य की निगरानी होगी।

योजना को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:

  • लाभार्थियों से समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट प्राप्त करना
  • पशु स्वास्थ्य और गुणवत्ता का नियमित मूल्यांकन
  • लाभार्थियों का नियमित भ्रमण और निरीक्षण
  • डेटा का विश्लेषण और मूल्यांकन
  • आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कार्रवाई

इस प्रकार, योजना की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित होगी। इससे लाभार्थियों को अधिक लाभ मिलेगा और योजना के उद्देश्य पूरे होंगे।

“योजना की प्रभावी निगरानी के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग दृढ़ संकल्पित है ताकि लाभार्थियों को अधिकतम लाभ प्रदान किया जा सके।”

निष्कर्ष

बिहार देशी गोपालन प्रोत्साहन योजना 2024 ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगी। यह योजना देशी गाय नस्लों के संरक्षण और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगी।

यह योजना ग्रामीण विकास और पशुपालन प्रोत्साहन के माध्यम से बिहार की योजना सफलता को सुनिश्चित करेगी।

इस योजना के तहत, बेरोजगारों और छोटे किसानों को देसी गायों के पालन के लिए व्यापक आर्थिक सहायता मिलेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय बढ़ेगी।

लोगों का जीवनस्तर सुधरेगा और कृषि गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

समग्र रूप से, बिहार देशी गोपालन प्रोत्साहन योजना 2024 राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण होगी। यह योजना बिहार के किसानों और बेरोजगारों के लिए एक बेहतर जीवन गुणवत्ता प्रदान करेगी।

FAQs

क्या बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है?

हाँ, बिहार सरकार ने “बिहार देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना” शुरू की है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस योजना का उद्देश्य देसी गौवंशों को बढ़ावा देना है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने में मदद करती है।

इस योजना के प्रमुख घटक क्या हैं?

योजना में देसी गाय खरीद पर सब्सिडी और पशु आहार सहायता शामिल है। नि:शुल्क टीकाकरण और पशु चिकित्सा सेवाएं भी दी जाएंगी।

लाभार्थियों को किस प्रकार की सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी?

सामान्य वर्ग को 50% और SC/ST/OBC वर्ग को 75% सब्सिडी मिलेगी। अधिकतम 10 लाख रुपए तक अनुदान भी दिया जाएगा।

आवेदन प्रक्रिया क्या है?

आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड और जमीन के कागज चाहिए। ऑनलाइन आवेदन आधिकारिक वेबसाइट पर करें।

योजना की प्रमुख तिथियां क्या हैं?

योजना की घोषणा 8 अप्रैल 2024 को हुई। आवेदन 15 अगस्त से शुरू होंगे। 15 सितंबर तक आवेदन करें।

योजना में शामिल प्रमुख देसी गाय नस्लों कौन-कौन सी हैं?

साहीवाल, थारपारकर और गिर जैसी नस्लों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

डेयरी इकाई स्थापना में क्या-क्या शामिल है?

इसमें पशु आवास और चारा प्रबंधन शामिल है। दुग्ध संग्रहण और प्रसंस्करण सुविधाएं भी होंगी। स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का पालन अनिवार्य है।

लाभार्थियों को बैंक ऋण और वित्तीय सहायता कैसे प्रदान की जाएगी?

लाभार्थियों को आसान शर्तों पर ऋण दिया जाएगा। किसान क्रेडिट कार्ड और सहकारी बैंकों के माध्यम से वित्तीय सहायता मिलेगी।

इस योजना के क्या आर्थिक और सामाजिक लाभ हैं?

यह योजना किसानों की आय बढ़ाएगी। दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

योजना की मॉनिटरिंग और निरीक्षण कैसे होगी?

विभाग नियमित निरीक्षण करेगा। लाभार्थियों को प्रगति रिपोर्ट जमा करनी होगी। गुणवत्ता नियंत्रण और पशु स्वास्थ्य की निगरानी होगी।

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